एक जमाने से बस देखना और सिर्फ देखना
अजीब दिन थे वह भी
इतनी भी हिम्मत नहीं होती थी कि कुछ अपने बारे में बता सकें
बस देखे जा रहे हैं
आखिर को वह थक ही गऐ
और एक रोज़ सरे राह हाथ पकड़ के अपना नम्बर दे गऐ
और कह गए
अगर तुम्हारे पास कुछ है मुझ से कहने के लिए तो मुझे फून करना
यह कहा और चल दिए
उस वक़्त केया मैं ने महसूस किया मैं बयां नहीं कर सकता
खैर वह वक़्त भी गुज़र गया
अब बातें शुरू हो गईं
दिन तमाम रात सारी
बातें जारी
बस यही चलने लगा फिर
महीने दो महीने गुज़रने के बाद
अब मुलाकात का नया बाब शुरू हुआ चाहता था
एक बात और
हमारी फैमिली कुछ ज्यादा ही सख्त है लव के मामले में
हां तो बात मुलाकात कि चल रही थी
मिलने का वक़्त चार बजे का था
बता दूं ए चार सुबह का चार था
तक़रीबन एक बजे का वक़्त था जब ए बातें हो रहीं थीं
अचानक ख्याल आया जब चार बजे मिलना है तो अभी क्यों नहीं
बस फिर क्या था चोरों की तरह दरवाजा खोला और बाहर
शहरों के रेहाइशी इलाकों में आम तौर से गलियां सुनसान हो जाती हैं
सन्नाटा फ़ैला था चारों तरफ सीधी गली के आखिरी कोने में उनका घर
मगर नहीं!
बन्दा दीसी और अपना दिमाग न लगाए तो पता कैसे चलेगा कि देसी है
और हम ने भी वही किया लगा दिया अपना दिमाग
सीधे नहीं जाना है
घूम के जाएंगे
जैसे ही दूसरी गली में क़दम रखा
पांच कुत्ते रोड के बीच मस्ती में बैठे हुए थे
आम हालात में तो वापसी पक्की थी
पर यहां मुआमला दिल का था ना
चाहे आग का दरिया हो डूब के जाना है
ख्याल का आना था कि आगे बढ़ गए
कुत्तों ने पहले अच्छी तरह से मेरा मुआयना किया है
फिर आपस में कुछ बात हुई है उनके बीच
यह सारी चीज़ों को इग्नोर करते हुए धीरे धीरे अपने क़दम बढ़ा रहा था कि अचानक
उन्होंने अपना कुत्ता पन दिखाना शुरू किया
और फिर शुरू हुई रेस हमारे बीच
जान बचाने की रेस
पकड़ने झपटने की रेस
अब इतनी रात को कौन बचाए
सेवाए उनके जो दरवाजे पर खड़े यह सोच रहे थे कि जिसे मेरी तरफ आना था वह दूसरी गली में क्यों मुड़ गया
वह इन्हीं सोचों में गुम अकेले खड़े हैं
और दूसरी तरफ रेस का विनर जो भागे जा रहा है
उन पर नज़र पड़ी तो जैसे जान में जान आ गई
रफ़्तार और बढ़ गई
क्यूं कि मंज़िल सामने नज़र आ रही थी
और अब बचने का पूरा इमकान था
उनके क़रीब पहुंचते ही
पूरी ताकत से उनको पकड़ के खुद को छुपाने की कोशिश करने लगे
और बस यही
जुबान से बे साख़ता निकलता रहा
कुत्ते ए कुत्ते तुम्हारी गली के कुत्ते
पहली बार
अपनी मुहब्बत
अपनी जान
अपने ख़्वाबों को
अपनी बाहों में जकड़े हुए थे
और जुबां पर था कुत्ते कुत्ते कुत्ते
सिर्फ कुत्ते,,,,,
और पड़ने के लिए जुड़े रहें,,
Nazish azmi,
अजीब दिन थे वह भी
इतनी भी हिम्मत नहीं होती थी कि कुछ अपने बारे में बता सकें
बस देखे जा रहे हैं
आखिर को वह थक ही गऐ
और एक रोज़ सरे राह हाथ पकड़ के अपना नम्बर दे गऐ
और कह गए
अगर तुम्हारे पास कुछ है मुझ से कहने के लिए तो मुझे फून करना
यह कहा और चल दिए
उस वक़्त केया मैं ने महसूस किया मैं बयां नहीं कर सकता
खैर वह वक़्त भी गुज़र गया
अब बातें शुरू हो गईं
दिन तमाम रात सारी
बातें जारी
बस यही चलने लगा फिर
महीने दो महीने गुज़रने के बाद
अब मुलाकात का नया बाब शुरू हुआ चाहता था
एक बात और
हमारी फैमिली कुछ ज्यादा ही सख्त है लव के मामले में
हां तो बात मुलाकात कि चल रही थी
मिलने का वक़्त चार बजे का था
बता दूं ए चार सुबह का चार था
तक़रीबन एक बजे का वक़्त था जब ए बातें हो रहीं थीं
अचानक ख्याल आया जब चार बजे मिलना है तो अभी क्यों नहीं
बस फिर क्या था चोरों की तरह दरवाजा खोला और बाहर
शहरों के रेहाइशी इलाकों में आम तौर से गलियां सुनसान हो जाती हैं
सन्नाटा फ़ैला था चारों तरफ सीधी गली के आखिरी कोने में उनका घर
मगर नहीं!
बन्दा दीसी और अपना दिमाग न लगाए तो पता कैसे चलेगा कि देसी है
और हम ने भी वही किया लगा दिया अपना दिमाग
सीधे नहीं जाना है
घूम के जाएंगे
जैसे ही दूसरी गली में क़दम रखा
पांच कुत्ते रोड के बीच मस्ती में बैठे हुए थे
आम हालात में तो वापसी पक्की थी
पर यहां मुआमला दिल का था ना
चाहे आग का दरिया हो डूब के जाना है
ख्याल का आना था कि आगे बढ़ गए
कुत्तों ने पहले अच्छी तरह से मेरा मुआयना किया है
फिर आपस में कुछ बात हुई है उनके बीच
यह सारी चीज़ों को इग्नोर करते हुए धीरे धीरे अपने क़दम बढ़ा रहा था कि अचानक
उन्होंने अपना कुत्ता पन दिखाना शुरू किया
और फिर शुरू हुई रेस हमारे बीच
जान बचाने की रेस
पकड़ने झपटने की रेस
अब इतनी रात को कौन बचाए
सेवाए उनके जो दरवाजे पर खड़े यह सोच रहे थे कि जिसे मेरी तरफ आना था वह दूसरी गली में क्यों मुड़ गया
वह इन्हीं सोचों में गुम अकेले खड़े हैं
और दूसरी तरफ रेस का विनर जो भागे जा रहा है
उन पर नज़र पड़ी तो जैसे जान में जान आ गई
रफ़्तार और बढ़ गई
क्यूं कि मंज़िल सामने नज़र आ रही थी
और अब बचने का पूरा इमकान था
उनके क़रीब पहुंचते ही
पूरी ताकत से उनको पकड़ के खुद को छुपाने की कोशिश करने लगे
और बस यही
जुबान से बे साख़ता निकलता रहा
कुत्ते ए कुत्ते तुम्हारी गली के कुत्ते
पहली बार
अपनी मुहब्बत
अपनी जान
अपने ख़्वाबों को
अपनी बाहों में जकड़े हुए थे
और जुबां पर था कुत्ते कुत्ते कुत्ते
सिर्फ कुत्ते,,,,,
और पड़ने के लिए जुड़े रहें,,
Nazish azmi,

Maza aa Gaya Janab
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