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अच्छा नहीं हुआ
कुछ भी तो अच्छा नहीं हुआ
बस इनकार इनकार और इनकार
इज़हार सब बेकार
तमन्नायें सब ख़ाक मिली
ख़ाब सारे टूट गए
सब यार भी मेरे छूट गए
मुझे छोड़ गए सब तन्हां
 साथ मेरा सब छोड़ गए
क्यूं तेरी गली हम आएं अब
किया ख़ाक वहां कुछ रख्खा है
अब तुझसे गिला भी किया करना
किया ख़ाक असर कुछ होना है
सब यार मेरे जब रूठ गए
वो पेयार मुहब्बत जो कुछ था
अब सब कुछ तो वह छूट गए
मुझे छोड़ गए सब तन्हां क्यों
क्यूं साथ मेरा सब छोड़ गए
अच्छा नहीं हुआ
बुरा लगता है
खैर जो भी हो,,,,,
,, कैसी गुज़र रही है सभी पूछते तो हैं
,, कैसे गुज़ारता हूं कोई पूछता नहीं,,,,
by
Nazish azmi,,
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