ऐ काश़ तुम मेरे होते
केया ताज्जुब कि हम खुश हुआ करते
खुशियां मनाते साथ रहते
और न जाने केया केया
ऐ काश़ तुम मेरे होते
ग़मज़दा तो नहीं ख़ुश भी कहां होते हैं
ज़िन्दा तो हैं
पर ज़िन्दा कहां होते हैं
महसूस तो होता है पर
इहसास कहां मुझ में
ऐ काश़ तुम मेरे होते
मैं तन्हां तो नहीं लेकिन तन्हां भी बहुत हूं मैं
मैं खामोश तो रहता हूं
पर ख़ामोशी कहां मुझ में
दिल बे चैन बहुत है
अब चैन कहां मुझ में
ऐ काश़ तुम मेरे होते
,,
अब न साक़ी न साग़र न कोई और है मैख़ाने में
अब केया रक्खा है तेरे घर आने जाने में,,,
ऐ काश़ तुम मेरे होते,,,
by
Nazish azmi,,
केया ताज्जुब कि हम खुश हुआ करते
खुशियां मनाते साथ रहते
और न जाने केया केया
ऐ काश़ तुम मेरे होते
ग़मज़दा तो नहीं ख़ुश भी कहां होते हैं
ज़िन्दा तो हैं
पर ज़िन्दा कहां होते हैं
महसूस तो होता है पर
इहसास कहां मुझ में
ऐ काश़ तुम मेरे होते
मैं तन्हां तो नहीं लेकिन तन्हां भी बहुत हूं मैं
मैं खामोश तो रहता हूं
पर ख़ामोशी कहां मुझ में
दिल बे चैन बहुत है
अब चैन कहां मुझ में
ऐ काश़ तुम मेरे होते
,,
अब न साक़ी न साग़र न कोई और है मैख़ाने में
अब केया रक्खा है तेरे घर आने जाने में,,,
ऐ काश़ तुम मेरे होते,,,
by
Nazish azmi,,
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