रात रात भर जागे हुए हैं हम
इस तरह ग़म किए हैं कम,
बड़ी तकलीफ़ होती है जब अकेला होता हूं
खाली खाली सा लगता है
सब के साथ होने के बावजूद भी
तन्हां महसूस करता हूं खुद को
ऐसे हालात हों तो नींद कहां आती है
रात रात भर जागे हुए हैं हम
इस तरह ग़म किए हैं कम,
शुरू शुरू में बहुत मुश्किल था यह वक़्त
मगर अब आदत सी जैसे हो गई है
अब तो तन्हाईयां ही अच्छी लगती हैं
खामोशियां ही पसंद हों जैसे
जब सब कुछ थम सा जाता है
रात आधी गुज़र चुकी होती है
हर शै खामोश़ होती है
तो एक सकूं मिलता है
रात रात भर जागे हुए हैं हम
इस तरह ग़म किए हैं कम,
ऐसा बिल्कुल भी नहीं कि मैं भाग रहा हूं सच से
अपने आप से
नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है
मुझे अच्छा लगता अपनी इस दुनिया में
सबसे अलग
न कोई शिकवा किसी से
न शिकायत किसी से है
यहां जो कुछ भी है सब मेरा है
सब मेरी उम्मीदों के मुताबिक ही होता है
यहां न ग़म हैं न कोई धोखा
न किसी को कोई शिकायत है
न शिकवा है किसी को कोई
यहां सब मेरे हैं
यहां मैं और मेरे ख्यालों के सिवा कोई और नहीं
बस यूं ही
रात रात भर जागे हुए हैं हम
इस तरह ग़म किए हैं कम,,
Nazish azmi
इस तरह ग़म किए हैं कम,
बड़ी तकलीफ़ होती है जब अकेला होता हूं
खाली खाली सा लगता है
सब के साथ होने के बावजूद भी
तन्हां महसूस करता हूं खुद को
ऐसे हालात हों तो नींद कहां आती है
रात रात भर जागे हुए हैं हम
इस तरह ग़म किए हैं कम,
शुरू शुरू में बहुत मुश्किल था यह वक़्त
मगर अब आदत सी जैसे हो गई है
अब तो तन्हाईयां ही अच्छी लगती हैं
खामोशियां ही पसंद हों जैसे
जब सब कुछ थम सा जाता है
रात आधी गुज़र चुकी होती है
हर शै खामोश़ होती है
तो एक सकूं मिलता है
रात रात भर जागे हुए हैं हम
इस तरह ग़म किए हैं कम,
ऐसा बिल्कुल भी नहीं कि मैं भाग रहा हूं सच से
अपने आप से
नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है
मुझे अच्छा लगता अपनी इस दुनिया में
सबसे अलग
न कोई शिकवा किसी से
न शिकायत किसी से है
यहां जो कुछ भी है सब मेरा है
सब मेरी उम्मीदों के मुताबिक ही होता है
यहां न ग़म हैं न कोई धोखा
न किसी को कोई शिकायत है
न शिकवा है किसी को कोई
यहां सब मेरे हैं
यहां मैं और मेरे ख्यालों के सिवा कोई और नहीं
बस यूं ही
रात रात भर जागे हुए हैं हम
इस तरह ग़म किए हैं कम,,
Nazish azmi
Comments
Post a Comment