आ गऐ नऐ शहर नई जगह नए लोगों के बीच
नई ज़िन्दगी फिर से शुरू करने
यहां अच्छी बात यह थी मकान मालिक कहीं बाहर रहता था
जिसे सिर्फ अपने किराए से मतलब था
महीने के आखिर में उनको किराया भेज दो और बस,
नई बस्ती आबाद हो रही थी अभी ज़ियादा घर नहीं थे
बहुत सी ज़ामींनें अभी यहां ख़ाली थीं
दूर दूर घर थे यहां
शाम के वक्त बहुत अच्छा माहौल हो जाता था यहां
ज़ेयादा तर लोग हमारे जैसे ही थे यहां
किराए दार!!!
बरसात का मौसम था जब हम यहां आए थे हल्की हल्की बारिश भी हो रही थी
उस रोज़ जब पहली बार छत पर मैं चढ़ा
तो दंग रह गया था
इतना खूबसूरत नजारा था
यहां से पूरी बस्ती नजर आ रही थी
छोटे छोटे घर जैसे बिखरे हुए हों
बड़ा पुर सुकून नज़ारा था
मैं सान्झ से कुछ पहले नीचे उतर आया
और अभी कुछ कहने ही वाला था कि
मेरी नज़रें घर में कुछ नए लोग पर पड़ी
मैं कुछ कहे बगैर खामोशी से अपने कमरे की तरफ बढ़ने लगा
तभी अम्मा ने आवाज़ दी
!!
ज़रा सुन तो ले बेटा
मैं उनकी तरफ मुड़ा और उनकी बात सुनने लगा
अम्मा ने कहा
यह समीरा आन्टी हैं
इनके भाई की तबीयत ख़राब है इनको बस स्टैंड तक छोड़ आवो
अपनी बाइक से
मैं जाना तो नहीं चाहता था मगर मुझे जाना ही पड़ा
वज़ह!!
आन्टी कुछ ज़ियादा ही तन्दुरूस्त देखाई दे रहीं थीं
और मैं और मेरी बाइक दोनों इस हाल में नहीं थे कि हम पर यह ज़ुल्म हो
मगर जैसे तैसे उनको छोड़ के हम वापस लौट आए
घर आए तो मालूम हुआ
आन्टी की फैमिली में चार लोग हैं
अन्कल की बाज़ार में परचून की दुकान है
एक बारह तेरह साल का उनका बब्लू
जो स्कूल से आने के बाद दुकान पर अन्कल की मदद करता है
और फिर शाम को दोनों साथ वापस आते हैं
और आन्टी जो घर के काम काज सम्हालती हैं
और एक,,,,,
,,, जारी है,,,
, Nazish azmi,,
https://www.phadgudia.com/2019/12/blog-post_13.html
नई ज़िन्दगी फिर से शुरू करने
यहां अच्छी बात यह थी मकान मालिक कहीं बाहर रहता था
जिसे सिर्फ अपने किराए से मतलब था
महीने के आखिर में उनको किराया भेज दो और बस,
नई बस्ती आबाद हो रही थी अभी ज़ियादा घर नहीं थे
बहुत सी ज़ामींनें अभी यहां ख़ाली थीं
दूर दूर घर थे यहां
शाम के वक्त बहुत अच्छा माहौल हो जाता था यहां
ज़ेयादा तर लोग हमारे जैसे ही थे यहां
किराए दार!!!
बरसात का मौसम था जब हम यहां आए थे हल्की हल्की बारिश भी हो रही थी
उस रोज़ जब पहली बार छत पर मैं चढ़ा
तो दंग रह गया था
इतना खूबसूरत नजारा था
यहां से पूरी बस्ती नजर आ रही थी
छोटे छोटे घर जैसे बिखरे हुए हों
बड़ा पुर सुकून नज़ारा था
मैं सान्झ से कुछ पहले नीचे उतर आया
और अभी कुछ कहने ही वाला था कि
मेरी नज़रें घर में कुछ नए लोग पर पड़ी
मैं कुछ कहे बगैर खामोशी से अपने कमरे की तरफ बढ़ने लगा
तभी अम्मा ने आवाज़ दी
!!
ज़रा सुन तो ले बेटा
मैं उनकी तरफ मुड़ा और उनकी बात सुनने लगा
अम्मा ने कहा
यह समीरा आन्टी हैं
इनके भाई की तबीयत ख़राब है इनको बस स्टैंड तक छोड़ आवो
अपनी बाइक से
मैं जाना तो नहीं चाहता था मगर मुझे जाना ही पड़ा
वज़ह!!
आन्टी कुछ ज़ियादा ही तन्दुरूस्त देखाई दे रहीं थीं
और मैं और मेरी बाइक दोनों इस हाल में नहीं थे कि हम पर यह ज़ुल्म हो
मगर जैसे तैसे उनको छोड़ के हम वापस लौट आए
घर आए तो मालूम हुआ
आन्टी की फैमिली में चार लोग हैं
अन्कल की बाज़ार में परचून की दुकान है
एक बारह तेरह साल का उनका बब्लू
जो स्कूल से आने के बाद दुकान पर अन्कल की मदद करता है
और फिर शाम को दोनों साथ वापस आते हैं
और आन्टी जो घर के काम काज सम्हालती हैं
और एक,,,,,
,,, जारी है,,,
, Nazish azmi,,
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