आठ दस फूट के दस आठ पीलर
ऊपर छत
दरवाजे और खिड़कियां,
बहुत आसान है कहना,
पर
आम ज़िन्दगीयों में यह सपना होता है
कितने ऐसे हैं जिनकी पूरी उम्र इसी बीच निकल जाती है
और उसका सपना सपना ही रह जाता है,
,, एक सच ऐसा भी,,,,,
घर बनाने का सपना किसका नहीं होता हर शख्स यह सोचता है
उसका अपना एक निजी घर हो
मगर आम तौर से यह मुमकिन नहीं हो पाता
तो लोग किराए के घरों में ज़िन्दगीयां बसर करने पर मजबूर हो जाते हैं
बस इसी मजबूरी का शिकार मैं भी हूं,
हमारा अपना घर!!!
मेरा मतलब किराए का
नऐ पड़ोसी ,नया शहर ,नऐ लोग,हर चीज़ नई, यहां तक कि हमारी ज़ुबान भी कुछ अलग थी यहां के लोगों से,
मैं बिल्कुल भी तय्यार नहीं था
मगर केया करता
पुरानी जगह काफी मन लग गया था
तक़रीबन चार सालों से हम वहां थे
मगर आखिर में हमें वह जगह छोड़नी पड़ी,
मकान मालिक को शायद कोई और मिल गया था
जो हम से ज्यादा किराया देने के लिए तैयार था
बस फिर रोज़ कोई न कोई बहाना चाहिए
तुम्हारे यहां से शोर बहुत आता है
कोई शिकवा न करे तो इसका मतलब किया
लाईटें इतनी क्यों
किराया इस महीने पहले देना होगा
यह बेहतर है तो कहीं और देख लो
और बहुत सी बातें
सिर्फ इसलिए कि यह लोग घर खाली कर दें,
और चलें जाएं,
और फिर एक रोज़ हम ने भी तै किया कि अब बस
अब यहां से चले ही जाते हैं ए रोज़ रोज़ की बातें अब बर्दाश्त नहीं ,
और फिर आ गऐ
नई जगह नए लोग ,,,
,,, जारी है,,,
जुड़े रहें,
धन्यवाद,,,
Nazish azmi,,
[Page2]
https://www.phadgudia.com/2019/12/blog-post_15.html
ऊपर छत
दरवाजे और खिड़कियां,
बहुत आसान है कहना,
पर
आम ज़िन्दगीयों में यह सपना होता है
कितने ऐसे हैं जिनकी पूरी उम्र इसी बीच निकल जाती है
और उसका सपना सपना ही रह जाता है,
,, एक सच ऐसा भी,,,,,
घर बनाने का सपना किसका नहीं होता हर शख्स यह सोचता है
उसका अपना एक निजी घर हो
मगर आम तौर से यह मुमकिन नहीं हो पाता
तो लोग किराए के घरों में ज़िन्दगीयां बसर करने पर मजबूर हो जाते हैं
बस इसी मजबूरी का शिकार मैं भी हूं,
हमारा अपना घर!!!
मेरा मतलब किराए का
नऐ पड़ोसी ,नया शहर ,नऐ लोग,हर चीज़ नई, यहां तक कि हमारी ज़ुबान भी कुछ अलग थी यहां के लोगों से,
मैं बिल्कुल भी तय्यार नहीं था
मगर केया करता
पुरानी जगह काफी मन लग गया था
तक़रीबन चार सालों से हम वहां थे
मगर आखिर में हमें वह जगह छोड़नी पड़ी,
मकान मालिक को शायद कोई और मिल गया था
जो हम से ज्यादा किराया देने के लिए तैयार था
बस फिर रोज़ कोई न कोई बहाना चाहिए
तुम्हारे यहां से शोर बहुत आता है
कोई शिकवा न करे तो इसका मतलब किया
लाईटें इतनी क्यों
किराया इस महीने पहले देना होगा
यह बेहतर है तो कहीं और देख लो
और बहुत सी बातें
सिर्फ इसलिए कि यह लोग घर खाली कर दें,
और चलें जाएं,
और फिर एक रोज़ हम ने भी तै किया कि अब बस
अब यहां से चले ही जाते हैं ए रोज़ रोज़ की बातें अब बर्दाश्त नहीं ,
और फिर आ गऐ
नई जगह नए लोग ,,,
,,, जारी है,,,
जुड़े रहें,
धन्यवाद,,,
Nazish azmi,,
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