कभी आके तुम एक लगाओ न फेरा
बहुत बढ़ गया है दिल में अंधेरा
मेरे माहेताब वो क़मर शमश वो तारे
चलो मान जाओ करो कुछ सवेरा
घटा छाएगी फिर सावन हो जैसे
रुख ए दिल नशीं को जो जुल्फों ने घेरा
तु है बा वफा ए मुझे भी खबर है
मगर बे वफा है ए अंदाज़ तेरा
,,,, Nazish azmi
बहुत बढ़ गया है दिल में अंधेरा
मेरे माहेताब वो क़मर शमश वो तारे
चलो मान जाओ करो कुछ सवेरा
घटा छाएगी फिर सावन हो जैसे
रुख ए दिल नशीं को जो जुल्फों ने घेरा
तु है बा वफा ए मुझे भी खबर है
मगर बे वफा है ए अंदाज़ तेरा
,,,, Nazish azmi
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