महसुस हो रहा है वो जाने के बाद भी
मुकम्मल है याद वो एक ज़माने के बाद भी
वो रूठ कर चला गया माना न मेरी बात
दिल चीर के ए अपना दिखाने के बाद भी
हमको हि बेवफा वो सब से कह रहा है
रस्में वफ़ा वो सारी निभाने के बाद भी
जज़बे भी सब जवां, था इश्क़ नौंजवां
आई ना मौत फिर, ज़हर खाने के बाद भी
मिटता कहां है दिल पे लगने के बाद दाग़
आता नज़र है सब कुछ मिटाने के बाद भी
अब तक मगर हैं जारी नाज़िश की मस्तीयां
कुछ खास दिल की बातें बताने के बाद भी
सोचा कि दर्द अपना कुछ अपनों में बांट दूं
लिख इस लिऐ दिया है,सब छुपाने के बाद भी,,,,,,
नाज़िश आज़मी,,,,
मुकम्मल है याद वो एक ज़माने के बाद भी
वो रूठ कर चला गया माना न मेरी बात
दिल चीर के ए अपना दिखाने के बाद भी
हमको हि बेवफा वो सब से कह रहा है
रस्में वफ़ा वो सारी निभाने के बाद भी
जज़बे भी सब जवां, था इश्क़ नौंजवां
आई ना मौत फिर, ज़हर खाने के बाद भी
मिटता कहां है दिल पे लगने के बाद दाग़
आता नज़र है सब कुछ मिटाने के बाद भी
अब तक मगर हैं जारी नाज़िश की मस्तीयां
कुछ खास दिल की बातें बताने के बाद भी
सोचा कि दर्द अपना कुछ अपनों में बांट दूं
लिख इस लिऐ दिया है,सब छुपाने के बाद भी,,,,,,
नाज़िश आज़मी,,,,
Comments
Post a Comment