वह खफा हैं तो उनेहें मनाना चाहिऐ
हमें हर रोज़ उनके उनके घर जाना चाहिऐ
वो कितना हसीन लगता है जब मुसकुराता है
उसे तो बस मुसकुराना चाहिऐ
परिन्दे गर परौं से परवाज़ करते हैं
हमें भी अपने बाज़ुवों को आज़माना चाहिऐ.
नाज़िश आज़मी,,,,
हमें हर रोज़ उनके उनके घर जाना चाहिऐ
वो कितना हसीन लगता है जब मुसकुराता है
उसे तो बस मुसकुराना चाहिऐ
परिन्दे गर परौं से परवाज़ करते हैं
हमें भी अपने बाज़ुवों को आज़माना चाहिऐ.
नाज़िश आज़मी,,,,
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