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Showing posts from November, 2019

सब कुछ अच्छा लगता है जब वह खुश होते हैं/love,new, heart#sad,feel#

सब कुछ अच्छा लगता है जब वह खुश होते हैं,,, बे फ़िक्र सा हो जाता हूं,हर चीज़ अच्छी लगने लगती है ज़िन्दगी मज़ा देने लगती है लुत्फ़ आने लगता है जीने का अलग ही अंदाज होता है सब कुछ अच्छा लगता है जब वह खुश होते हैं, मुहब्बत करने वाले लोग एक जैसे ही होते हैं खाह वह किसी रंग में हों कहीं पर हों या कैसे भी हों ज़ात वो मज़हब बे माना है इनके नज़दीक, इनके जो दिल होते हैं वह सिर्फ मुहब्बत करते हैं और मुहब्बत ही चाहते हैं, अपने महबूब के लिए दुआएं करते हैं मिन्नतें करते हैं गिड़गिड़ाते हैं रोते हैं अपने मालिक के सामने, और बस यही कहते हैं या रब्ब तेरी इस काएनात में सब कुछ अच्छा लगता है जब वह खुश होते हैं, यह ख़ार वो ख़न्जर, यह ज़हर, यह दर दर की ठोकरें, बदनामियों, रुसवाइयां, दर्द जहां के सारे यह सब कुछ होने के बावजूद, सब कुछ अच्छा लगता है जब वह खुश होते हैं,, by Nazish azmi,,,

ख्वाहिश तो बहुत की,,

तुझको पाने कि खाहिश़ तो बहुत की ज़िद नहीं की पर कोशिश तो बहुत की अपनी अना को मिन्नतें,मुम्किन कहां ऐ दिल गुज़ारिश करूं,ए दिल ने गुज़ारिश तो बहुत की,,,,,, अब नाराज़ बैठा है कि काश़ कुछ मिन्नतें, कुछ इल्तिज़ा ऐ काश़ कुछ तो करते, मगर फिर सोचता हूं चलो अच्छा ही हुआ ज़िन्दगी अच्छी ही है दिन भी हैं, रातें भी हैं ख़ुशीयां भी हैं, ग़म भी हैं पर कहीं न कहीं तो बाक़ी है तब ही तो ए आवाज़ आती है कि वह होते तो क्या होता खैर जो भी होता अब तो वह आने से रहे नहीं,, बस ज़िद नहीं की पर कोशिश तो बहुत की यही सोच कर खुद को समझा लेता हूं अपने दिल को , अपने आप को अपने इहसासात को अपने मन को कि कोशिश तो बहुत की, मगर सच तो यह है कि ए सब बेकार की बातें थीं आज लगता है कि सारी खामियां मुझ में ही थीं बहुत कुछ ऐसा था जो किया जा सकता था और भी रास्ते थे और भी तरीके थे ना कामयाब मुहब्बत कामयाब बनाई जा सकती थी फिर सोचता हूं तब के हालात ही कुछ और थे, गुज़ारिश करूं? मुम्किन कहां ऐ दिल यही कह के खामोश करा देते थे एटीट्यूड बहुत था ना अभी भी है और होना भी चाहिए, बहरहाल अपनी अना को मिन्...

चिराग़ जले,,

दिल में आ कि एक चिराग़ जले या यूं ही रहने दे दिल पे लगे दाग़ जले फूल फूल जलता है मेरे दिल के बाग़ का केया ही अच्छा हो कि सारा ही बाग़ जले Nazish azmi,,

कैसी गुज़र रही है,,

कैसी गुज़र रही है सभी पूछते तो हैं कैसे गुज़ारता हूं कोई पूछता नहीं सब ख़ुश हैं उनकी जीत पे मस्त हैं मगन हैं मैं ग़मज़दा हूं,हारता हूं कोई पूछता नहीं,,, by Nazish azmi

ज़िक्र करें केया,,,,,

वो हुस्न बे मिसाली का ज़िक्र करें केया उनके रुखसार की लाली का ज़िक्र करें केया लमहात उन अंधेरौं के छू कर गुज़र गए हंसी वो रात काली का ज़िक्र करें केया केया केया न किए वादे थे मज़बूत इरादे अब अपनी बे ख्याली का ज़िक्र करें केया,, by NAZISH azmi

जाने के बाद भी,,,,,

महसुस हो रहा है वो जाने के बाद भी मुकम्मल है याद वो एक ज़माने के बाद भी वो रूठ कर चला गया माना न मेरी बात दिल चीर के ए अपना दिखाने के बाद भी हमको हि बेवफा वो सब से कह रहा है रस्में वफ़ा वो सारी निभाने के बाद भी जज़बे भी सब जवां, था इश्क़ नौंजवां आई ना मौत फिर, ज़हर खाने के बाद भी मिटता कहां है दिल पे लगने के बाद दाग़ आता नज़र है सब कुछ मिटाने के बाद भी अब तक मगर हैं जारी नाज़िश की मस्तीयां कुछ खास दिल की बातें बताने के बाद भी सोचा कि दर्द अपना कुछ अपनों में बांट दूं लिख इस लिऐ दिया है,सब छुपाने के बाद भी,,,,,, नाज़िश आज़मी,,,,

मनाना चाहिए,,,

वह खफा हैं तो उनेहें मनाना चाहिऐ हमें हर रोज़ उनके उनके घर जाना चाहिऐ वो कितना हसीन लगता है जब मुसकुराता है उसे तो बस मुसकुराना चाहिऐ परिन्दे गर  परौं से परवाज़ करते हैं हमें भी अपने बाज़ुवों को आज़माना चाहिऐ. नाज़िश आज़मी,,,,

ग़ज़ल,,,,,,

मुझको मेरी वफा का ईनाम दीजिए अपने लबों में भर के कोई जाम दीजिए माना कि हैं मुखालिफ दुश्मन हैं इश्क़ के नज़रों से आप अपनी   पैगाम दीजिए शब ए विसाल सारी लम्हे भी खास हैं अपनी हया को आज कुछ आराम दीजिए प्यासा हूं इस क़दर मेरे सूखे पड़े हैं होंठ तिशना लबी को अईए अंजाम दीजिए तन्हा मिले तो उसने कहा लीजिए न दिल हमने भी कह दिया कि सरेआम दीजिए जी लेंगे सारी उम्र लम्हों में रह के साथ एक मुख्तसर सी आप हमें शाम दीजिए फैली बहुत है रोशनी नूर ए क़मर है जा बजा हम जुगनूओं को भी कोई काम दीजिए मजनू कहे न कोई न पर्वाना मिसाल हो नाजिश को मुख्तलिफ कोई नाम दीजिए Nazish azmi,,,, 

ग़ज़ल,,,,

वैसे तो अपने घर वो बुलाते नहीं कभी जो हम गए तो कहते हैं, आते नहीं कभी दिल  टूटने की  कुछ, होती  अगर खबर अपनी अना को बीच में लाते नहीं कभी धड़कन है साँस है मेरे दिल का क़रार है ए सब है तू मगर ए बताते नहीं कभी रशके क़मर जो साथ में लाते थे चांदनी अबके बरस वो चाँदनज़र आते नहीं कभी खामोश हैं खफा हैं कभी डांन्ते हैं वह अपनी अदा से अब वह लुभाते नहीं कभी मिटने लगे हैं एकएक जीतने थे सब निशां हालाँकि दागे ए दिल एए जाते नहीं कभी वादे वह रस्में कसमें सब और बात हैं नज़रें भीअब वह हमसेमिलाते नहीं कभी एक हादसे में जबसे मेरा दिल गया है जल तब से चराग ए दिल ए जलाते नहीं कभी नाज़िश ए सोच कर हम होते नहीं खफा हमको खबर है आप मनाते नहीं कभी ,, by Nazish azmi,,, 

Darkness,,,

कभी आके तुम एक लगाओ न फेरा बहुत बढ़ गया है दिल में अंधेरा मेरे माहेताब वो क़मर शमश वो तारे चलो मान जाओ करो कुछ सवेरा घटा छाएगी फिर सावन हो जैसे रुख ए दिल नशीं को जो जुल्फों ने घेरा तु है बा वफा ए मुझे भी खबर है मगर बे वफा है ए अंदाज़ तेरा ,,,, Nazish azmi

बरसात,,,,,

अगले बरस फिर से बरसात आए गी दिन भी वही होंगे वही रात आएगी बरसात आएगी वही फिर रात आएगी  बरसात आएगी वही फिर रात आएगी चेहरे पे मुस्कुराहट आएगी देख लेना जितनी है ए उदासी जाएगी देख लेना आएगी फिर बहारों की बारात आएगी बरसात आएगी वही फिर रात आएगी बरसात आएगी वही फिर रात आएगी भूलें नहीं हैं हम मजबूर हैं सनम मजबूरियों में तुझसे हुवे दूर हैं सनम लेके ए ज़िंदगी  वही सौगात आएगी बरसात आएगी वही फिर रात आएगी बरसात आएगी वही फिर रात आएगी Nazish azmi,,,,, 

इश्क़,,,

तमाम रात बैठ के अब अपने दर्द लिखता हूँ ज़रा सा इश्क़ छू लिया था किसी ज़माने में,,,, Nazish azmi,,, 

Murder,,,,

हाँ सच है क़त्ल में तुम शामिल नहीं थे मेरे ए भी नहीं है झूठ कि  ए आरजू थी किसकी,,, Nazish azmi,, 

दर्द,,,

एक मेंहरबां,  कोई हमदर्द है दिल में मीठा सा,  पर गज़ब का दर्द है दिल में. Nazish azmi,, 

इश्क़ बस तेरे लिए

इश्क़ बस तेरे लिए,आशिकी तेरे लिए हर खुशी आप से है, हर खुशी तेरे लिए ए जो जारी हैं मेरी साँसें जानां है खबर आपको,  ए ज़िंन्दगी तेरे लिए इश्क़ बस तेरे लिए इश्क़ बस तेरे लिए,,,,,,,, Nazish azmi,,,