हर कोइ चाहेता है ज़िन्दगी में कुछ करना
सबके कुछ न कुछ सपने होते है
हर शखश की इछ्छा होती है वह खुशहाल ज़िनदगी बसर करे
और ज्यादा तर लोग इस अच्छी जिन्दगी की तलाश बैरून मुल्कों में करते हैं
कोई America यह Australia जाने के लिए तैयारियाँ कर्ता है,
तो कोई
Canada और फ़्रांस में खुद को जमाना चाहता है,
और कुछ ऐसे भी हैं
जो
खाड़ी देशों का visa ढूंढते देखाई पड़ते हैं
क्यंकिं लोगों को लगता है कि
वहां जिन्दगी यहाँ से बेहतर है,
हां!
यह अलग बात है कि
वहां पहुँचने पर एहसास होता है
कि वहीं अच्छे थे,
मै भी वैसा ही था
मुझे भी ऐसा ही लगता था,
और जो चीज सबसे जरूरी थी
और मुल्क से बाहर जाने के लिए चाहिए थी
वह था
(Passport)
तो फिर शुरू हो गई (passport) बनाने की योजनाएँ
कैसे बनाएं
कहां जाएं
और क्या क्या लाएं
जिससे कि (passport) बन जाए
स्न (2008) की बात है
तब इतनी तरक्की नही थी हमारे यूपी में
जितनी की आजकल है
अब तो तिजोरी और लाकरों में उतने नोट नहीं होते
जितने कागजात होते हैं
स्कूल की (identity) से लेकर
(deth सर्टिफिकेट) तक
कुछ लोगों ने बनवा लिए हैं
ताकि अगर मर मरा गए
तो बच्चों को ज्यादा दिक्कतें न हो,
Next level तरक्की चल रही है,
यूपी में ही नहीं
पूरा (INDIA) ही बदला बदला नजर आता है
अब पहले जैसा कुछ भी तो नहीं है,
तब इतनी तरक्की होती तो और न जाने क्या होता
मगर तब आसानीयां थीं
एक (voter id)
एक निवास प्रमाण पत्र
चार फोटो
दो चार (signatures)
और फिर मिल गयी रसीद......
इन्तजार
इन्तजार और इन्तजार
करीब छह महीने बाद पहली (Report) मुझ तक पहुंची
मुझे दो चार दिनों में (police station) पहुच अपनी (identity) वैरीफाई करवानी थी
मै तय्यारियों मेंथा
कुछ कागजात भी बनाने पड़ते हैं
कुछ वासते भी लगाने पड़ते हैं
कुछ माल मुद्रा की भी वेवस्था करनी पड़ती है
मैं उन्हीं तय्यारियों में था कि पन्गा हो गया!
छोटी सी बात अपसमें, और दंगा हो गया,
फिर भागम भागी
पकड़ा पकड़ी
पुलिस स्पेक्ट्र गोली लाठी
छापा कुर्की
सोर्स लगाव नेता लाव, उसको छोड़ो जाने दो उसका भाई नेता,
ए भी था इसको पकड़ो, कसके पकड़ो, इसी को जकड़ो,
और ले गए मुझे (police station)
जिस पुलिस स्टेशन में मुझे रिपोर्ट लगवानी थी
जो (officer) मेरे (good character) पर मुहर लगाने वाले थे,
वही मेरी (FIR) copy, पर signature)
कर रहे थे,,,,,,,,
जुड़े रहें
अभी जारी है,,,
Nazish azmi.....
सबके कुछ न कुछ सपने होते है
हर शखश की इछ्छा होती है वह खुशहाल ज़िनदगी बसर करे
और ज्यादा तर लोग इस अच्छी जिन्दगी की तलाश बैरून मुल्कों में करते हैं
कोई America यह Australia जाने के लिए तैयारियाँ कर्ता है,
तो कोई
Canada और फ़्रांस में खुद को जमाना चाहता है,
और कुछ ऐसे भी हैं
जो
खाड़ी देशों का visa ढूंढते देखाई पड़ते हैं
क्यंकिं लोगों को लगता है कि
वहां जिन्दगी यहाँ से बेहतर है,
हां!
यह अलग बात है कि
वहां पहुँचने पर एहसास होता है
कि वहीं अच्छे थे,
मै भी वैसा ही था
मुझे भी ऐसा ही लगता था,
और जो चीज सबसे जरूरी थी
और मुल्क से बाहर जाने के लिए चाहिए थी
वह था
(Passport)
तो फिर शुरू हो गई (passport) बनाने की योजनाएँ
कैसे बनाएं
कहां जाएं
और क्या क्या लाएं
जिससे कि (passport) बन जाए
स्न (2008) की बात है
तब इतनी तरक्की नही थी हमारे यूपी में
जितनी की आजकल है
अब तो तिजोरी और लाकरों में उतने नोट नहीं होते
जितने कागजात होते हैं
स्कूल की (identity) से लेकर
(deth सर्टिफिकेट) तक
कुछ लोगों ने बनवा लिए हैं
ताकि अगर मर मरा गए
तो बच्चों को ज्यादा दिक्कतें न हो,
Next level तरक्की चल रही है,
यूपी में ही नहीं
पूरा (INDIA) ही बदला बदला नजर आता है
अब पहले जैसा कुछ भी तो नहीं है,
तब इतनी तरक्की होती तो और न जाने क्या होता
मगर तब आसानीयां थीं
एक (voter id)
एक निवास प्रमाण पत्र
चार फोटो
दो चार (signatures)
और फिर मिल गयी रसीद......
इन्तजार
इन्तजार और इन्तजार
करीब छह महीने बाद पहली (Report) मुझ तक पहुंची
मुझे दो चार दिनों में (police station) पहुच अपनी (identity) वैरीफाई करवानी थी
मै तय्यारियों मेंथा
कुछ कागजात भी बनाने पड़ते हैं
कुछ वासते भी लगाने पड़ते हैं
कुछ माल मुद्रा की भी वेवस्था करनी पड़ती है
मैं उन्हीं तय्यारियों में था कि पन्गा हो गया!
छोटी सी बात अपसमें, और दंगा हो गया,
फिर भागम भागी
पकड़ा पकड़ी
पुलिस स्पेक्ट्र गोली लाठी
छापा कुर्की
सोर्स लगाव नेता लाव, उसको छोड़ो जाने दो उसका भाई नेता,
ए भी था इसको पकड़ो, कसके पकड़ो, इसी को जकड़ो,
और ले गए मुझे (police station)
जिस पुलिस स्टेशन में मुझे रिपोर्ट लगवानी थी
जो (officer) मेरे (good character) पर मुहर लगाने वाले थे,
वही मेरी (FIR) copy, पर signature)
कर रहे थे,,,,,,,,
जुड़े रहें
अभी जारी है,,,
Nazish azmi.....

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