एक जमाने से बस देखना और सिर्फ देखना अजीब दिन थे वह भी इतनी भी हिम्मत नहीं होती थी कि कुछ अपने बारे में बता सकें बस देखे जा रहे हैं आखिर को वह थक ही गऐ और एक रोज़ सरे राह हाथ पकड़ के अपना नम्बर दे गऐ और कह गए अगर तुम्हारे पास कुछ है मुझ से कहने के लिए तो मुझे फून करना यह कहा और चल दिए उस वक़्त केया मैं ने महसूस किया मैं बयां नहीं कर सकता खैर वह वक़्त भी गुज़र गया अब बातें शुरू हो गईं दिन तमाम रात सारी बातें जारी बस यही चलने लगा फिर महीने दो महीने गुज़रने के बाद अब मुलाकात का नया बाब शुरू हुआ चाहता था एक बात और हमारी फैमिली कुछ ज्यादा ही सख्त है लव के मामले में हां तो बात मुलाकात कि चल रही थी मिलने का वक़्त चार बजे का था बता दूं ए चार सुबह का चार था तक़रीबन एक बजे का वक़्त था जब ए बातें हो रहीं थीं अचानक ख्याल आया जब चार बजे मिलना है तो अभी क्यों नहीं बस फिर क्या था चोरों की तरह दरवाजा खोला और बाहर शहरों के रेहाइशी इलाकों में आम तौर से गलियां सुनसान हो जाती हैं सन्नाटा फ़ैला था चारों तरफ सीधी गली के आखिरी कोने में उनका घर मगर नहीं! बन्दा दीसी और अपना दिमाग ...
ज़िंन्दगी एक शौक पंछियों सा,,,
A blog about to share something real, with some fun ,some awareness, something to know about you, and yourself, Me ,and myself ,they ,and themselves, That is what it is all about,,